भारत में कृषि केवल एक पेशा नहीं, बल्कि जीवन जीने की शैली है। हमारे देश की आधी से अधिक आबादी आज भी खेती पर निर्भर है। ऐसे में जब प्रकृति रौद्र रूप धारण करती है — कभी बारिश तो कभी ओलावृष्टि के रूप में — तो किसानों की मेहनत और पूंजी दोनों मिट्टी में मिल जाती हैं। लेकिन अब एक योजना है, जो किसानों को इन मुश्किल घड़ियों में सहारा देती है — प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)।
क्या है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना?
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत साल 2016 में हुई थी। इसका मकसद था किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई देना और उनकी आय को स्थिर बनाना। यह योजना एक तरह का सुरक्षा कवच है, जो किसान के खेत में फसल खराब होने की स्थिति में उसे आर्थिक रूप से टूटने से बचाती है।
चाहे बेमौसम बारिश हो, बाढ़, सूखा, कीट प्रकोप या तूफान — यह योजना हर तरह की आपदा में किसानों को राहत देती है। किसान बहुत ही कम प्रीमियम देकर अपनी पूरी फसल का बीमा करवा सकते हैं।
कम प्रीमियम, भरपूर लाभ
PMFBY की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें किसानों को महज 1.5% से 5% तक का प्रीमियम देना होता है। बाकी राशि केंद्र और राज्य सरकार मिलकर देती हैं। इससे बीमा की लागत बहुत कम हो जाती है, और छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
कुछ विशेष इलाकों जैसे पूर्वोत्तर राज्यों, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश में सरकार 100% प्रीमियम खुद वहन करती है। यानी वहां के किसानों को बीमा के लिए एक भी रुपया नहीं देना पड़ता, फिर भी पूरी सुरक्षा मिलती है।
बेमौसम बारिश में कैसे काम आती है योजना
हाल के दिनों में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से किसानों की खड़ी फसलें तबाह हो गईं। लेकिन जिन किसानों ने PMFBY में समय पर आवेदन किया था, उन्हें अब मुआवजा मिलने की उम्मीद है।
इस योजना की प्रक्रिया को डिजिटल और तेज़ बनाया गया है। अब नुकसान का आकलन ड्रोन, सेटेलाइट और मोबाइल ऐप से किया जाता है, जिससे नुकसान की सही जानकारी मिलती है और मुआवजा समय पर पहुंचता है। आमतौर पर नुकसान होने के 60 दिनों के भीतर क्लेम का निपटान हो जाता है।
ऑनलाइन और ऑफलाइन — दोनों तरीकों से आवेदन
किसान इस योजना में शामिल होने के लिए ऑनलाइन पोर्टल https://pmfby.gov.in पर जाकर खुद आवेदन कर सकते हैं। जिनके पास इंटरनेट नहीं है, वे नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC), बैंक या कृषि अधिकारी के माध्यम से ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं।
ऑनलाइन सिस्टम से किसानों को प्रीमियम, फसल का कवरेज, आवेदन की स्थिति जैसी जानकारी भी मिलती रहती है, जिससे पारदर्शिता बनी रहती है और धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है।
सिर्फ बीमा नहीं, तकनीक अपनाने की प्रेरणा भी
PMFBY का उद्देश्य सिर्फ मुआवजा देना नहीं है, बल्कि किसानों को नए प्रयोगों और आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाने की हिम्मत देना भी है। जब किसान जानता है कि नुकसान होने पर उसे राहत मिलेगी, तब वह नई फसलों, जैविक खेती या आधुनिक उपकरणों का उपयोग करने से नहीं डरता।
कई किसान अब जोखिम उठाने को तैयार हैं, जिससे उनकी आय भी बढ़ रही है और खेती का तरीका भी आधुनिक हो रहा है। यही वजह है कि यह योजना सिर्फ आर्थिक सुरक्षा नहीं बल्कि खेती के भविष्य की दिशा भी तय कर रही है।
सरकार चला रही है जागरूकता अभियान
योजना भले ही लाभकारी है, लेकिन अभी भी देश के कई किसान इससे अनजान हैं। खासकर दूर-दराज के इलाकों में किसानों को इसकी पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें अब गांव-गांव जाकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। मेले, ग्राम सभाएं, मोबाइल वैन और रेडियो जैसे माध्यमों से किसानों को समझाया जा रहा है कि यह योजना क्यों जरूरी है और इससे कैसे जुड़ना है।
किसानों की बदलती सोच का संकेत
PMFBY के लागू होने से एक नया बदलाव देखने को मिला है। अब किसान बीमा को अतिरिक्त खर्च नहीं, बल्कि एक जरूरी निवेश मानने लगे हैं। जैसे हम शहरों में स्वास्थ्य या जीवन बीमा लेते हैं, वैसे ही अब गांवों में फसल बीमा को महत्व दिया जाने लगा है। यह सोच खेती को और अधिक सुरक्षित और समृद्ध बना रही है।
एक सशक्त और आत्मनिर्भर किसान की ओर कदम
किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि देश की रीढ़ हैं। जब प्रकृति की मार उनकी मेहनत को बर्बाद कर देती है, तो वही किसान टूट जाता है। लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना उन्हें फिर से खड़ा करती है — आत्मनिर्भर, आत्मविश्वासी और भविष्य के प्रति आशावान।
यह योजना भविष्य में भारत की कृषि को और अधिक मजबूत, वैज्ञानिक और स्थिर बनाने में अहम भूमिका निभाएगी। जब हर किसान इस योजना से जुड़ जाएगा, तब ही ‘सभी के लिए खुशहाल खेती’ का सपना साकार हो पाएगा।
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